November 3, 2024

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Research : अकेलापन उतना ही खतरनाक है जितना मोटापा या धूम्रपान, जानें इससे कैसे बचें !

Research : अकेलापन उतना ही खतरनाक है जितना मोटापा या धूम्रपान, जानें इससे कैसे बचें !

एक नई रिसर्च स्टडी से पता चला है कि अकेलापन हेल्थ के लिए बहुत ही खतरनाक है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे उम्र घटती है। शोध से पता चला है कि अकेलापन स्वास्थ्य के लिए उतना ही खतरनाक है, जितना मोटापा या स्मोकिंग। यह स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) के सैन डियेगो स्कूल ऑफ मेडिसिन (San Diego School of Medicine) के शोधकर्ताओं ने की है। स्टडी ‘एजिंग एंड मेंटल हेल्थ’ जर्नल में पब्लिश हुई है।

दोस्त बनाने में मुश्किलें

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के सैन डियेगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के साइकेट्री डिपार्टमेंट के रिसर्च फेलो एलजेंड्रा पार्डीज ने कहा कि कुछ लोगों ने अपने फैमिली मेंबर्स, जीवनसाथी और दोस्तों की मौत को अपने अकेलेपन की बड़ी वजह बताया। वहीं, कुछ लोगों का कहना था कि अधिक उम्र हो जाने के बाद नए दोस्त बना पाने में मुश्किलें आती हैं।

बीमारियों का खतरा

इस स्टडी में पाया गया है कि बढ़ती उम्र के दौरान जो लोग ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं, उन्हें बीमारियां होने का ज्यादा खतरा रहता है। ये लोगों से अलग-थलग अकेले जीवन बिताने को मजबूर होते हैं। इसके पीछे पारिवारिक और सामाजिक कई वजहें हो सकती हैं।

युवा भी जूझ रहे इस समस्या से

शोधकर्ताओं का कहना था कि अक्सर इस समस्या से ज्यादा उम्र के लोग ही जूझ रहे हैं। वहीं, ऐसे युवाओं की संख्या भी कम नहीं है, जो अकेलेपन की समस्या से परेशान हैं। वे रिलेशनशिप बना पाने में दिक्कत महसूस करते हैं। इससे उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस भी कम होता चला जाता है।

उत्साह की कमी

शोधकर्ताओं का कहना था कि इस समस्या के शिकार लोगों के सामने जीवन के मकसद का सवाल प्रमुख रूप से आता है। वहीं, काफी लोग किसी से कोई जुड़ाव नहीं महसूस करते। उनमें उत्साह और उम्मीद की कमी हो जाती है। उन्हें लगता है कि किसी भी चीज पर उनका नियंत्रण नहीं रह गया है।

कितने लोगों पर हुई स्टडी

शोधकर्ताओं ने जिन लोगों का अध्ययन किया, उनमें बौद्धिकता, सहानुभूति और दूसरी ऐसी बातों का पता लगाने की कोशिश की, जिससे अकेलेपन का एहसास कम होता है। इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने 67-92 आयु वर्ग के 30 लोगों का इंटरव्यू लिया और उनकी शारीरिक, मानसिक और संज्ञानात्मक क्षमताओं का आकलन किया।

फैमिली का साथ है जरूरी

इस रिसर्च स्टडी के प्रमुख लेखक सैन डियेगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के साइकेट्री और न्यूरो साइंस के जाने-माने प्रोफेसर दिलिप वी. जेस्टे ने कहा कि हमने इस स्टडी में उम्रदराज लोगों के अकेलेपन से जुड़े अनुभवों और सोच का अध्ययन किया और उनके विचारों को समझने की कोशिश की। इससे यह पता चला कि जो लोग अधिक उम्र के हो चुके हैं, उन्हें फैमिली के साथ ही रहना चाहिए। अकेलापन उनकी जीवनी शक्ति को खत्म करने लगता है।