Story of Lord Ganesh & Kuber: भगवान गणेश ने कैसे तोड़ा था भगवान कुबेर का अहंकार, आज इस पोस्ट हम श्री गणेश और भगवान कुबेर की कथा बताएँगे| हमारे हिन्दू धर्म में सभी देवी और देवताओं का एक अपना महत्व और स्थान है. माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता हैं. वहीं भगवान कुबेर को धन-धान्य और समृद्धि का देवता माना जाता है. सभी देवी-देवताओं में भगवान श्री गणेश का प्रमुख स्थान है. श्री गणेश को प्रथम पूजनीय देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए उनके सामने किसी का भी वर्चस्व नहीं ठहर पाता. इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है. आइए जानते हैं यह रोचक कथा.
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भगवान कुबेर को हुआ था अहंकार
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कुबेर को इस बात पर अहंकार आ गया कि उनके पास तीनों लोकों में सबसे ज्यादा धन संपत्ति है. अपना वैभव दिखाने के लिए कुबेर ने सभी देवताओं को महाभोज पर आमंत्रित किया. सबसे पहले कुबेर आमंत्रण लेकर कैलाश पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान शिव को सपरिवार के साथ भोज पर आने का न्योता दिया. भगवान शिवजी कुबेर की मंशा को भाप गए थे. इस पर शिवजी ने कहा कि उनके स्थान पर उनके पुत्र गणेश भोज पर ज़रूर आएंगे.
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सोने चांदी के बर्तनों में परोसा भोज
महाभोज वाले दिन कुबेर ने पकवानों को सोने-चांदी के थालों में परोसा. सभी देवता पेट भर भोज करने के बाद वहां से रवाना हो गए. इसके बाद गणेश जी पहुंचे. कुबेर ने गणेश जी को भोज परोसा. गणेश जी ने खाना शुरू किया. काफी देर तक गणेश जी खाते ही चले गए. कुबेर का अन्न भोजन भंडार खाली होने लगा, लेकिन गणेश जी का पेट नहीं भर पाया.
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कुबेर ने मांगी माफी
कुबेर गणेश जी के लिए जो कुछ था सब ले आए. यहां तक गणेश जी कुबेर के महल की चीजों को भी खाने लगे. इससे कुबेर घबरा गए. कुबेर को अपने धमंड का अहसास हुआ और भगवान श्री गणेश से माफी मांगने लगे. तब गणेश जी ने उन्हें माफ कर सदबुद्धि प्रदान की.
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