लोगों को पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमत से आने वाले महीनों में राहत मिल सकती है। दरअसल, सरकार ने ‘एक देश -एक दाम’ के अंतर्गत पेट्रोल-डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को GST के दायरे में लाने पर विचार शुरू किया है। 17 सितंबर को लखनऊ में GST काउंसिल की होने वाली बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो देश भर में पेट्रोल के भाव 75 रुपये और डीजल के भाव 68 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है। इस साल मार्च में एसबीआई की इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अगर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो केंद्र और राज्यों को राजस्व में जीडीपी के महज 0.4% के बराबर की कमी आएगी।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर मंत्रियों का एक पैनल एक देश और एक दर के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर कर लगाने पर विचार करेगा। मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक, उपभोक्ताओं के लिए ईंधन की कीमत और सरकारी राजस्व में संभावित बड़े बदलाव के लिए यह अहम कदम हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाला पैनल शुक्रवार को लखनऊ में होने वाली 45वीं जीएसटी परिषद की बैठक में प्रस्ताव पर विचार करेगा।
गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट की ओर से पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के निर्देश के बाद जीएसटी काउंसिल के समक्ष यह मामला 17 सितंबर को लाया जाएगा। हालाकि, यह भी कहा जा रहा है कि राजस्व को देखते हुए जीएसएटी परिषद के उच्च अधिकारी पेट्रोलियम पदार्थों पर एक समान जीएसटी लगाने को तैयार नहीं हैं।
वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में थोड़ा मुश्किल है। दरअसल, जीएसटी प्रणाली में किसी भी बदलाव के लिए पैनल के तीन-चौथाई लोगों की मंजूरी जरूरी है। इस पैनल में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें से कुछ ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। उन राज्यों का मानना है कि पेट्रोल और डीजल के जीएसटी दायरे में आने के बाद राजस्व का एक अहम राज्यों के हाथों से निकल जाएगा। इस पर केंद्र सरकार को अपना रुख पहले स्पष्ट करना होगा। फिर जाकर सहमति के आसार बन सकते हैं।
वित्तीय वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों से राज्य व केंद्र सरकार को 5.55 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इसमें पेट्रोल व डीजल से ही सबसे ज्यादा राजस्व सरकारों को मिला। सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कलेक्शन चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48% बढ़ गया है, और इस दौरान हासिल हुआ अतिरिक्त कलेक्शन पूरे वित्त वर्ष के दौरान तेल बॉन्ड देनदारी का तीन गुना है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था। पेट्रोल पर केंद्र सरकार 32% तो राज्य सरकार लगभग 23.07% टैक्स ले रही है। वहीं डीजल पर केंद्र 35 तो राज्य सरकारें 14% से ज्यादा का टैक्स वसूल कर रही हैं।
पेट्रोल-डीजल के दाम 10 दिन से स्थिर
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लंबे समय से बढ़ोतरी नहीं होने के बाद भी कई शहरों में दाम रिकॉर्ड स्तर पर हैं। तेल कंपनियों ने पेट्रोल (Petrol) और डीजल (Diesel) के भाव में आज (बुधवार) को भी बदलाव नहीं किया है। ये आज (15 सितंबर) लगातार 10वां दिन है, जब पेट्रोल-डीजल के रेट स्थिर हैं। इससे पहले 05 सितंबर को पेट्रोल-डीजल दोनों ही ईंधन की खुदरा कीमतों में 15 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई थी।
प्रमुख शहरों में 15 सितंबर को पेट्रोल-डीजल की कीमत (रुपये प्रति लीटर)
शहर – पेट्रोल – डीजल
दिल्ली -101.19 -88.62
मुंबई -107.26 -96.19
कोलकाता -101.62 -91.71
चेन्नई -98.96 – 93.26
बेंगलुरु – 104.70 -94.04
पटना -103.79 -94.55
भोपाल -109.63 -97.43
लखनऊ -98.30 -89.02
रांची -96.21 -93.57
चंडीगढ़ -97.40 -88.35
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