आज हम जानेंगे गणेश जी को दूर्वा क्यू चढ़ाया जाता है और साथ ही साथ जानेंगे गणेश जी का दिन कौन सा है, गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने से क्या लाभ मिलता है और इसकी पौराणिक कथा क्या है, गणेश जी को दूर्वा कैसे चढ़ाना चाहिए| तो आइये जानते हैं..
बुधवार (Wednesday) को गणेश जी का दिन माना जाता हैं. हिंदू धर्म की विशेष मान्यता है कि यदि आप की किसी भी काम में बाधा आ रही है तो विघनहर्ता को पूरे विधि- विधान से पूजा करे और उनकी अतिप्रिय वस्तु लड्डू और दूर्वा अर्पित करें. भगवान गणेश को लड्डू पसंद है ये बात सब जानते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि गणेश जी को दूर्वा क्यों अर्पित करते हैं और इसके पीछे पौराणिक कथा क्या है|
गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में अनलासुर नाम का एक राक्षस था, उसके डर से स्वर्ग और पृथ्वी लोक में त्राहि-त्राहि मची हुई थी. अनलासुर एक ऐसा राक्षस था, जो मुनि-ऋषियों और मनुष्यों को जिंदा निगल जाता था. इस राक्षस के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि गण भगवान शंकर से प्रार्थना करने पहुंचे और सभी ने भगवान शंकर से प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक से जो त्राहि-त्राहि मची हुई है उसका खात्मा करें.
तब महादेव ने सभी देवी-देवताओं तथा मुनि-ऋषियों की प्रार्थना सुनकर उनसे कहा कि राक्षस अनलासुर का नाश सिर्फ़ गणेश जी ही कर सकते हैं. भगवान शंकर की बात सुनकर सभी देवी- देवता और ऋषि- मुनि ने भगवान गणेश से प्रार्थना की, भगवान गणेश ने समस्त लोक की रक्षा के लिए राक्षस अनलासुर को निगल लिया, जिससे उनके पेट में बहुत जलन होने लगी. इस परेशानी से निपटने के लिए तरह-तरह के उपाय किए गए. जिसका कोई भी परिणाम प्राप्त नहीं हुआ. तब कश्यप ऋषि ने जलन शांत करने के लिए दूर्वा की 21 गांठें बनाकर श्री गणेश को खाने को दीं. यह दूर्वा गणेशजी के ग्रहण करने के बाद ही उनके पेट की जलन शांत हुई. ऐसा माना जाता है कि तभी से गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा से आरंभ हुई.
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ऐसे चढ़ाए गणेश जी को दूर्वा
– भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने से पहले उसे साफ पानी से अवश्य धो लें.
– दूर्वा जहां से तोड़ी जा रही है वह स्थान साफ और स्वच्छ होना चाहिए. दूर्वा आप बगीचे या साफ जगह से तोड़ सकते हैं.
– गणेश जी को हमेशा जोड़े में दूर्वा आर्पित करनी चाहिए. यह 11 या 21 जोड़े में हो सकती है.
– दूर्वा चढ़ते हुए गणेश जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
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बुधवार के मंत्र
– ऊँ गं गणपतेय नम:
– ऊँ एकदन्ताय नमः
– ऊँ उमापुत्राय नमः
– ऊँ विघ्ननाशनाय नमः
– ऊँ विनायकाय नमः
– ऊँ गणाधिपाय नमः
– ऊँ ईशपुत्राय नमः
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